लेखनी कविता - मेरा माज़ी मेरे काँधे पर - कैफ़ी आज़मी

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मेरा माज़ी मेरे काँधे पर / कैफ़ी आज़मी अब तमद्दुन[1] की हो जीत के हार मेरा माज़ी है अभी तक मेरे काँधे पर सवार आज भी दौड़ के गल्ले[2] में जो ...

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