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कोहरे के खेत / कैफ़ी आज़मी वो सर्द रात जबकि सफ़र कर रहा था मैं रंगीनियों से जर्फ़-ए-नज़र भर रहा था मैं तेज़ी से जंगलों में उड़ी जा रही थी रेल ...