लेखनी कविता - दूसरा बनबास - कैफ़ी आज़मी

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दूसरा बनबास / कैफ़ी आज़मी राम बन-बास से जब लौट के घर में आए याद जंगल बहुत आया जो नगर में आए रक़्स-ए-दीवानगी आँगन में जो देखा होगा छे दिसम्बर को ...

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