लेखनी कविता - तसव्वुर - कैफ़ी आज़मी

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तसव्वुर / कैफ़ी आज़मी ये किस तरह याद आ रही हो ये ख़्वाब कैसा दिखा रही हो कि जैसे सचमुच निगाह के सामने खड़ी मुस्कुरा रही हो ये जिस्म-ए-नाज़ुक, ये नर्म ...

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