लेखनी कविता - नया हुस्न - कैफ़ी आज़मी

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नया हुस्न / कैफ़ी आज़मी कितनी रंगीं है फ़ज़ा कितनी हसीं है दुनिया कितना सरशार है ज़ौक़-ए-चमन-आराई आज इस सलीक़े से सजाई गई बज़्म-ए-गीती तू भी दीवार-ए-अजन्ता से उतर आई आज ...

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