लेखनी कविता - नए ख़ाके - कैफ़ी आज़मी

63 Part

40 times read

1 Liked

नए ख़ाके / कैफ़ी आज़मी नुक़ूश-ए-हसरत मिटा के उठना, ख़ुशी का परचम उड़ा के उठना मिला के सर बैठना मुबारक तराना-ए-फ़त्ह गा के उठना ये गुफ़्तुगू गुफ़्तुगू नहीं है बिगड़ने बनने ...

Chapter

×