लेखनी कविता - नेहरू - कैफ़ी आज़मी

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नेहरू / कैफ़ी आज़मी मैं ने तन्हा कभी उस को देखा नहीं फिर भी जब उस को देखा वो तन्हा मिला जैसे सहरा में चश्मा कहीं या समुन्दर में मीनार-ए-नूर या ...

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