लेखनी कविता -अंदेशे - कैफ़ी आज़मी

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अंदेशे / कैफ़ी आज़मी रूह बेचैन है इक दिल की अज़ीयत क्या है दिल ही शोला है तो ये सोज़-ए-मोहब्बत क्या है वो मुझे भूल गई इसकी शिकायत क्या है रंज ...

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