लेखनी कविता - गुरुदत्त के लिए नोहा - कैफ़ी आज़मी

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गुरुदत्त के लिए नोहा / कैफ़ी आज़मी रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई डरता हूँ कहीं ख़ुश्क न हो जाए समुन्दर ...

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