लेखनी कविता -कर चले हम फ़िदा - कैफ़ी आज़मी

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कर चले हम फ़िदा / कैफ़ी आज़मी कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई फिर भी बढ़ते क़दम को न रुकने ...

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