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ज़िन्दगी / कैफ़ी आज़मी आज अन्धेरा मिरी नस-नस में उतर जाएगा आँखें बुझ जाएँगी बुझ जाएँगे एहसास ओ शुऊर और ये सदियों से जलता-सा सुलगता-सा वजूद इस से पहले कि सहर ...