लेखनी कविता -तुम - कैफ़ी आज़मी

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तुम / कैफ़ी आज़मी शगुफ्तगी का लताफ़त का शाहकार हो तुम, फ़क़त बहार नहीं हासिल-ऐ-बहार हो तुम, जो इक फूल में है क़ैद वो गुलिस्तान हो, जो इक कली में है ...

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