लेखनी कविता -मशवरे - कैफ़ी आज़मी

63 Part

41 times read

1 Liked

मशवरे / कैफ़ी आज़मी पीरी: ये आँधी ये तूफ़ान ये तेज़ धारे कड़कते तमाशे गरजते नज़ारे अंधेरी फ़ज़ा साँस लेता समन्दर न हमराह मिशाल न गर्दूँ पे तारे मुसाफ़िर ख़ड़ा रह ...

Chapter

×