लेखनी कविता - पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाए - कैफ़ी आज़मी

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पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाए / कैफ़ी आज़मी पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाए । हम चाँद से आज लौट आए । दीवारें तो हर तरफ़ खड़ी हैं क्या हो ...

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