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पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये / कैफ़ी आज़मी पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये हम चाँद से आज लौट आये दीवारें तो हर तरफ़ खड़ी हैं क्या हो गया मेहरबाँ ...