लेखनी कविता - बस इक झिझक है यही - कैफ़ी आज़मी

63 Part

42 times read

1 Liked

बस इक झिझक है यही / कैफ़ी आज़मी बस इक झिझक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में कि तेरा ज़िक्र भी आयेगा इस फ़साने में बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब ...

Chapter

×