लेखनी कविता - वो भी सराहने लगे अरबाबे-फ़न के बाद - कैफ़ी आज़मी

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वो भी सराहने लगे अरबाबे-फ़न के बाद / कैफ़ी आज़मी वो भी सरहाने लगे अरबाबे-फ़न[1] के बाद । दादे-सुख़न[2] मिली मुझे तर्के-सुखन[3] के बाद । दीवानावार चाँद से आगे निकल गए ...

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