लेखनी कविता - सुना करो मेरी जाँ - कैफ़ी आज़मी

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सुना करो मेरी जाँ / कैफ़ी आज़मी सुना करो मेरी जाँ इन से उन से अफ़साने सब अजनबी हैं यहाँ कौन किस को पहचाने यहाँ से जल्द गुज़र जाओ क़ाफ़िले वालों ...

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