लेखनी कविता -सोमनाथ - कैफ़ी आज़मी

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सोमनाथ / कैफ़ी आज़मी बुतशिकन कोई कहीं से भी ना आने पाये हमने कुछ बुत अभी सीने में सजा रक्खे हैं अपनी यादों में बसा रक्खे हैं दिल पे यह सोच ...

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