लेखनी कविता - शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा - कैफ़ी आज़मी

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शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा / कैफ़ी आज़मी शोर यूँ ही न परिंदों[1] ने मचाया होगा, कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा। पेड़ के काटने वालों ...

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