लेखनी कविता - उनके वादे कल के हैं - बालस्वरूप राही

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उनके वादे कल के हैं / बालस्वरूप राही ‎ उनके वादे कल के हैं हम मेहमाँ दो पल के हैं । कहने को दो पलके हैं कितने सागर छलके हैं । ...

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