लेखनी कविता - लगे जब चोट सीने में हृदय का भान होता है - बालस्वरूप राही

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लगे जब चोट सीने में हृदय का भान होता है / बालस्वरूप राही ‎ लगे जब चोट सीने में हृदय का भान होता है सहे आघात जो हँसकर वही इंसान होता ...

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