158 Part
53 times read
0 Liked
क़तआत / बालस्वरूप राही 1. जानता हूँ कि ग़ैर हैं सपने और खुशियाँ भी ये अधूरी हैं किंतु जीवन गुज़ारने के लिए कुछ ग़लत फ़ेहमियाँ ज़रूरी हैं 2. हसरतों की ज़हर ...