लेखनी कविता -क़तआत - बालस्वरूप राही

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क़तआत / बालस्वरूप राही 1. जानता हूँ कि ग़ैर हैं सपने और खुशियाँ भी ये अधूरी हैं किंतु जीवन गुज़ारने के लिए कुछ ग़लत फ़ेहमियाँ ज़रूरी हैं 2. हसरतों की ज़हर ...

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