लेखनी कविता - बारिश - बालस्वरूप राही

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बारिश / बालस्वरूप राही बादल गरजे बिजली कड़की बूंदें बरसीं छम-छम-छ्म। बड़े अकड़ में निकले घर से नटखट मोनू फिसले धम। ...

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