लेखनी कविता - पलंग - बालस्वरूप राही

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पलंग / बालस्वरूप राही एक पलंग पर बच्चे चार, कैसे सोएँ टाँग पसार? उनमें एक भरे खर्राटे, और दूसरा उसको डांटे। तीजा दोनों को समझाए, चौथा जाग खड़ा हो जाए,  चारों ...

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