158 Part
59 times read
0 Liked
बत्तख / बालस्वरूप राही खूब झखाझक गोरी बत्तख, दिन-भर करती रहती चख-चख। पीली-पीली चोंच नुकीली, गर्दन लंबी हैं फुर्तीली। पंजे जालीदार सजीले, फड़-फड़ पंख सुखाती गीले। मछली-वछली छत कर जाती, तैर-तैर ...