लेखनी कविता - झूला - बालस्वरूप राही

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झूला / बालस्वरूप राही पेंग बढ़ाएँ, झूला झूलें, आओ आसमान को छू लें। बड़े-बड़ों से होड लगाएँ, हम हैं छोटे भूलें। ...

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