लेखनी कविता - भैंस - बालस्वरूप राही

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भैंस / बालस्वरूप राही आंखे मीचे खड़ी खड़ी ही, भैंस नहाती पानी में। उसे मिला हो सब-कुछ जैसे, मौज मनाती पानी में। ...

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