लेखनी कविता -मोटूराम - बालस्वरूप राही

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मोटूराम / बालस्वरूप राही चले सैर को मोतूरम देखा एक लटकता आम। झटपट चढ़ने लगे पेड़ पर लड़ा ततैया, गिरे धड़ाम। ...

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