लेखनी कविता -लाल हरी बत्तियाँ - बालस्वरूप राही

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लाल हरी बत्तियाँ / बालस्वरूप राही रोको गाड़ी ब्रेक लगाओ, बत्ती लाल हुई। लाइन से आगे मत जाओ, बत्ती लाल हुई। पापा, जल्दी नहीं मचाओ, बत्ती लाल हुई। जुर्माने की रकम ...

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