लेखनी कविता - बस्ता - बालस्वरूप राही

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बस्ता / बालस्वरूप राही मुझ से भारी मेरा बस्ता, कर दी मेरी हालत खस्ता। इसे उठा कर बढ़ना मुश्किल। सभी पुस्तकें पढ़ना मुश्किल। कोई टीचर को समझाए, इसको कुछ हल्का करवाए। ...

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