लेखनी कविता -हम - बालस्वरूप राही

158 Part

42 times read

0 Liked

हम / बालस्वरूप राही पूछ रहे क्यों कैसे हैं, हम क्या ऐसे-वैसे हैं! चमक रहा चेहरा चम-चम, गाल टमाटर जैसे हैं! उल्टा-सीधा खाते कम हँसते रहते हैं हरदम! जूस पिया करते ...

Chapter

×