लेखनी कविता - पटाखे - बालस्वरूप राही

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पटाखे / बालस्वरूप राही पप्पू, ये फुलझड़ियाँ लो। पापा, वो वाली भी दो। पप्पू, कैसा चला अनार? पापा, और चलाओ चार!  पप्पू, लो पकड़ो हंटर! पापा, मुझे न लगता दर! पप्पू, ...

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