लेखनी कविता - गुब्बारे - बालस्वरूप राही

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गुब्बारे / बालस्वरूप राही बौनी सोनू, मिक्की, नीशू, ले आए गुबारे। तितली जैसे रंग-बिरंगे, फूलों जैसे प्यारे। एक गैस वाला था धागा टूटा उड़ा कबूतर-सा भरा एक में पानी, फूटा बड़ी ...

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