लेखनी कविता - मेहँदी - बालस्वरूप राही

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मेहँदी / बालस्वरूप राही सादिक़ जी पहुंचे भोपाल, लाए मेहँदी किया कमाल। पापा ने रंग डाले बाल, मेहँदी निकली बेहद लाल। बुरा हुआ पापा का हाल, महँगा पड़ा मुफ्त का माल। ...

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