लेखनी कविता -दूसरों के लिए - बालस्वरूप राही

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दूसरों के लिए / बालस्वरूप राही मधुमक्खी कण- कण कर फूलों- से जो मधु ले आती हैं, केवल वह ही नहीं, उसे तो सारी दुनिया खाती है। हरे वृक्ष पत्तों से ...

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