लेखनी कविता - चंदा मामा - बालस्वरूप राही

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चंदा मामा / बालस्वरूप राही चंदा मामा, कहो तुम्हारी शान पुरानी कहाँ गई? कात रही थी बैठी चरखा बूड़िया नानी कहाँ गई? सूरज से रोशनी चुरा कर चाहे जितनी भी लाओ, ...

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