लेखनी कविता -ध्रुवतारा - बालस्वरूप राही

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ध्रुवतारा / बालस्वरूप राही यों तो कितने तारे नभ में सब स प्यारा ध्रुवतारा। एक जगह रहता है हरदम, खूब चमकता रहता चमचम, एसबी को दिशा दिखाने वाला सारे तारों से ...

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