लेखनी कविता -नई बात सोचा करते हैं - बालस्वरूप राही

158 Part

32 times read

0 Liked

नई बात सोचा करते हैं / बालस्वरूप राही एक पका फल टूट डाल से नीचे गिरा कहीं पर, एक आदमी ऊँध रहा था लेता हुआ वहीं पर। यों तो फल का ...

Chapter

×