लेखनी कविता -नन्हा मछुआ - बालस्वरूप राही

158 Part

53 times read

0 Liked

नन्हा मछुआ / बालस्वरूप राही बंसी डाल नदी में नीलू, बन कर बैठा मछुआ, मछली फँसी न कोई दिन –भर, फँसा अंत में कछुआ। नीलू समझा फँसी आज तो बहुत बड़ी ...

Chapter

×