लेखनी कविता -होली के ठाठ - बालस्वरूप राही

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होली के ठाठ / बालस्वरूप राही सब पर्वों में, त्योहारों में होली के ठाठ निराले है। नीला पीले से बोल उठा- आओ, हम दोनों मिल जाएँ, रह जाए कहीं न फीकापन ...

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