लेखनी कविता - एक रात - बालस्वरूप राही

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एक रात / बालस्वरूप राही एक रात पिंकी ने देखी बड़ी अनोखी बात, जहाँ जहाँ वह जाए, चंदा चलता जाए साथ। आँख नचा कर, मुँह मटका कर उसे रहा था छेड़, ...

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