लेखनी कविता - हम जब होंगे बड़े - बालस्वरूप राही

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हम जब होंगे बड़े / बालस्वरूप राही हम जब होंगे बड़े, देखना ऐसा नहीं रहेगा देश। अब भी कुछ लोगों के दिल में नफरत अधिक प्यार है कम, हम जब होंगे ...

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