लेखनी कविता - स्वाभाविक दान - बालस्वरूप राही

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स्वाभाविक दान / बालस्वरूप राही पेड़ किसी से नहीं पूछता कहो, कहाँ से आए ? वह तो बस दे देता छाया चाहे जो सुस्ताए। खिलते समय न फूल सोचता कौन उसे ...

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