लेखनी कविता -चूहे को निमंत्रण - बालस्वरूप राही

158 Part

40 times read

0 Liked

चूहे को निमंत्रण / बालस्वरूप राही चूहे राजा, आ जा, आ जा, घी से चुपड़ी रोटी खा जा, मैंने चूहेदान लगाया, तरह-तरह का माल सजाया। तूने मुझे बड़ा सताया, किशमिश खाई, ...

Chapter

×