लेखनी कविता - सच्चा सुख - बालस्वरूप राही

158 Part

52 times read

0 Liked

सच्चा सुख / बालस्वरूप राही धूप चिलचिलाती निकले तो मन होता बादल आएँ, खूब झमाझम पानी बरसे, भीगे, झूम-झुम गाएँ, छाता लगा गली में घूमे या टहले घर की छत पर, ...

Chapter

×