लेखनी कविता - आकाशगंगा - बालस्वरूप राही

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आकाशगंगा / बालस्वरूप राही गंगा एक यहाँ बहती है, एक वहाँ आकाश में। धरती की गंगा है निर्मल, शर्बत से मीठा इसका जल, हर प्यासे की प्यास बुझाती, भारत का इतिहास ...

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