लेखनी कविता -दीवाली - बालस्वरूप राही

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दीवाली / बालस्वरूप राही रात अमावस्या की काली बड़ी डराने वाली, मानव ने अपनी मेहनत से चाँदी-सी चमका ली। जहाँ न पहुँचे रवि की किरणे छाया हो अँधियारा, फैला देते नन्हें ...

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