लेखनी कविता - मैं होशे-अनादिल हूँ मुश्किल है सँभल जाना - फ़िराक़ गोरखपुरी

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मैं होशे-अनादिल हूँ मुश्किल है सँभल जाना / फ़िराक़ गोरखपुरी मैं होशे-अनादिल1 हूँ मुश्किल है सँभल जाना ऐ बादे-सबा मेरी करवट तो बदल जाना तक़दीरे-महब्बत हूँ मुश्किल है बदल जाना सौ ...

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